हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय।
इस ब्लॉग में आपको हजारी प्रसाद द्विवेदी के जीवन का परिचय मिलेगा:–
हजारी प्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 –19 मई 1979) आधुनिक हिंदी साहित्यक के एक बहुआयामी साहित्यकार, उपन्यासकार, आलोचक, निबंधकार और विद्वान थे, वे हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्ला भाषाओं के विद्वान थे, और इन्होंने हिंदी निबंध, आलोचना और साहित्य इतिहास में स्थाई योगदान दिया है।
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हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय। |
•जन्म:–
•हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 19 अगस्त 1907 उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के दुबे का छपरा नामक गांव के एक प्रसिद्ध प्रारंभिक ज्योतिष विद्या परिवारम हुआ था, इनके पिताजी का नाम पंडित अनमोल द्विवेदी जो संस्कृत के प्रकांड पंडित थे, और उनके बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था, और उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही संस्कृत अध्ययन आश्रम में हुई थी। और फिर 1923 में इन्होंने काशी जाकर रणवीर संस्कृत पाठशाला में प्रथम स्थान प्राप्त किया था, और उसके बाद 1927 में काशी के ही हिंदू विश्वविद्यालय से हाई स्कूल उत्तीर्ण कर 1929 में संस्कृत साहित्य में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए, और इसके पश्चात 1930 में ज्योतिष में आचार्य की डिग्री प्राप्त की और दोनों डिग्रियां पहली श्रेणी में प्राप्त की।
करियर:–
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 8 नवंबर 1930 से हिंदी और संस्कृति की पढ़ाई शुरू कर दी थी, और वे रविंद्र नाथ टैगोर और आचार्य श्रीतिमोहन से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए। और लगभग अगले 20 वर्ष शांतिनिकेतन में ही कार्य करते रहे, और उसके बाद 1960 में छात्र आंदोलन एवं अंग्रेजी हटाओ आंदोलन की वजह से BHU से निष्कासित हो गए थे, और फिर पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में हिंदी विभाग अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे।
और फिर से 1967 में वापसी बीएचयू में हिंदी विभाग अध्यक्ष और 1968 से 1970 तक रेक्टर पद पर भी रहे, और उसके बाद में हिंदी ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष तथा लखनऊ उत्तर प्रदेश के हिंदी सस्थान के आजीवन उपाध्यक्ष बने रहे।
•हजारी प्रसाद द्विवेदी का भाषा–ज्ञान और साहित्यिक योगदान:–
हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी भाषा के अतिरिक्त संस्कृत,बंगाली,पंजाबी,गुजराती पाली, प्राकृत सहित कई भाषाओ में पारंगत थे, हिंदी साहित्य इतिहास,भक्तिकालीन कवियों जैसे कबीर और नाथ सप्रदाय पर गहरा शोध किया।
•हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएं:–
हजारी प्रसाद द्विवेदी के आलोचनात्मक व निबंध ग्रंथ:
•सूर साहित्य(1936) और हिंदी साहित्य(1940) मैं उनकी भूमिका थी। कबीर 1942, नाथ संप्रदाय 1950 हिंदी साहित्य का आदिकाल 1952 उनकी रचनाएं थी, हिंदी साहित्य का उद्धव और विकास आलोक पर्व(निबंध संग्रह,1972), और इसके अलावा अन्य विचार प्रवाह, अशोक के फूल और नाखून क्यों बढ़ते हैं आदि।
हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यास:–
•बाणभट्ट की आत्मकथा (1946), पुनर्नवा (1973), अमन दास का पोथा(1976), चारु चंद्रलेखा(1963).
हजारी प्रसाद द्विवेदी संपादन एवं भाषा शास्त्र:–
•संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो, संदेश रास्क, महापुरुषों का स्मरण और चारखंडीय ‘हिंदी भाषा का वृहत ऐतिहासिक व्याकरण’(जिसका पहला खंड बाद में प्रकाशित हुआ) और उनकी ग्रंथावली 11 12 करो में प्रकाशित हुई।
हजारी प्रसाद द्विवेदी की शैली एवं साहित्यिक दृष्टि:–
•हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने लेखन में आलोचनात्मक वर्णनात्मक दर्शनात्मक एवं व्यंग्यात्मक और व्याख्यात्मक शैलिया का प्रयोग किया गया है, और भाषा दो प्रकार की:(1)प्रांजल व्यवहारिक बोलचाल की हिंदी (उर्दू/अंग्रेजी शब्दों सहित), और(2) संस्कृत–प्रधान शास्त्रीय शैली।
और इन सभी के अलावा विषय वस्तु में भारतीय संस्कृति, ज्योतिष, धर्म, इतिहास, समाज और साहित्य का संगम भी मिलता है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी का सम्मान और निधन:–
•सन 1957 में पद्म भूषण से हजारी प्रसाद द्विवेदी जी को सम्मानित किया गया, और सन 1979 में आलोक पर्व निबंध संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ, और 1969 में ब्रेन ट्यूमर से दिल्ली में उनका निधन हुआ (4 फरवरी को पक्षाघात और 19 में को मृत्यु)हो गई।
निष्कर्ष:–
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी हिंदी साहित्य के वे स्तंभ है जिन्होंने भाषा संस्कृति इतिहास एवं आलोचना को शास्त्रीय और आधुनिक दृष्टि से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनकी रचनाएं आज भी साहित्य प्रेमियों और विद्वानो के लिए अमूल्य संदर्भ है।



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